चारित्रिक उन्नयन के साथ संस्कृति की सुरक्षा पर जोर

शहर के झालरा रोड़ स्थित श्री टैगोर महाविद्यालय की आईक्यूएसी तथा राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के तत्वावधान में आज महर्षि दयानन्द सरस्वती की 200वीं जयन्ती के अवसर पर आयोजित समारोह में महाविद्यालय के राष्ट्रीय स्वयंसेवकों व अन्य विद्यार्थियों ने स्वामी जी के जीवन चरित्र को जाना।

कार्यक्रम का शुभारम्भ करते हुए महाविद्यालय निदेशक सीताराम चैधरी ने स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलन किया। इस अवसर पर चौधर ने विद्यार्थियों में चारित्रिक उन्नयन तथा राष्ट्रीय संस्कृति की सुरक्षा पर जोर देते हुए कहा कि स्वामी दयानंद रसस्वती स्वराज के आराधक के रूप में पहचाने जाते हैं। वे एक महान समाज सुधारक थे। संस्था सचिव राजेश चौधरी ने स्वामी के वैचारिक आन्दोलन, शास्त्रार्थ एवं व्याख्यानों के बारे में जानकारी दी। संस्था प्राचार्य डॉ. शैलेन्द्र पाटनी ने स्वामी जी के बारे में बताते हुए कहा कि स्वामी जी के साहित्य के साथ उनका जीवन चरित्र भी अत्यन्त प्रेरणास्पद है। स्वामीजी ने लोगों को वैदिक धर्म से जोड़ने के लिए स्वामी जी ने सत्यार्थ प्रकाष नामक ग्रन्थ की रचना की। विद्यार्थी हितेश पारीक तथा मानवेन्द्र ने भी स्वामी जी के जीवन दशन पर विचार प्रस्तुत किए। इस दौरान विद्यार्थियों ने स्वामी द्वारा रचित ग्रन्थ सत्यार्थ प्रकाश की प्रति महाविद्यालय निदेशक सीताराम को भेंट की । अन्त में राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के कार्यक्रम अधिकारी भोमाराम ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन छात्र मनोज जांगिड़ ने किया।