स्वराज के आराधक थे स्वामी दयानन्द सरस्वती

शहर के झालरा रोड़ स्थित श्री टैगोर महाविद्यालय की आई. क्यू. ए. सी. तथा राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के तत्वावधान में आज महर्षि दयानन्द सरस्वती जी की 200 वीं जयन्ती के अवसर पर आयोजित समारोह में महाविद्यालय के राष्ट्रीय स्वयंसेवकों व अन्य विद्यार्थियों ने स्वामी जी के जीवन चरित्र को जाना। कार्यक्रम का शुभारम्भ करते हुए महाविद्यालय निदेशक सीताराम चौधरी ने स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्ज्वलन किया। उन्होंने कहा कि स्वामी जी स्वराज के आराधक के रूप में पहचाने जाते है । वे एक महान समाज सुधारक थे। उन्होंने 1875 में तात्कालिन सामाजिक असमानताओं से निपटने के लिए आर्य समाज की स्थापना की तथा इसी आर्य समाज ने सामाजिक सुधारों और शिक्षा पर जोर देकर देश की सांस्कृतिक एवं सामाजिक जागृति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

इस अवसर पर संस्था सचिव राजेश चौधरी ने स्वामी जी के वैचारिक आन्दोलन, शास्त्रार्थ एवं व्याख्यानों के बारे में जानकारी दी संस्था प्राचार्य डॉ. शैलेन्द्र पाटनी ने कहा कि स्वामी जी के साहित्य के साथ-साथ उनका जीवन चरित्र भी अत्यन्त प्रेरणास्पद है। स्वामी जी ने कर्म सिद्धांत पुनर्जन्म तथा संन्यास को अपने दर्शन का स्तम्भ बनाया।

कार्यक्रम में महाविद्यालय में अध्यनरत विद्यार्थी हितेश पारीक तथा मानवेन्द्र ने भी स्वामी जी के जीवन दर्शन पर अपने विचार प्रस्तुत किए। विद्यार्थियों ने स्वामी जी द्वारा रचित ग्रन्थ सत्यार्थ प्रकाश की प्रति महाविद्यालय निदेशक सीताराम को भेंट की।