चैयरमेन की कलम से .....
आदरणीय अभिभावकगण,
व्यक्ति को जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए उच्च आदर्श स्थापित करने आवश्यक हैं। मेरे जीवन के आदर्श स्वामी विवेकानन्द है। जिनकी निम्न पंक्ति याँ मेरे जीवन का लक्ष्य है -
‘‘हमें ऐसे बालकों का निर्माण करना है जिनके चेहरों पर आभा, षरीर में बल, मन में प्रचण्ड इच्छा-शक्ति , बुद्धि में पांडित्य, जीवन में स्वालम्बन, हृदय में शिवा, प्रताप, धु्रव व प्रहलाद की जीवन गाथाएं अंकित हो और जिन्हें देखकर महापुरूशों की स्मृतियां झंकृत हो उठें।’’
आज के आधुनिकीकरण, भू-मण्डलीकरण व वैश्वीकरण के परिपेक्ष्य में विद्यार्थियों के परीक्षा परिणाम में गुणात्मक परिवर्तन आए हैं लेकिन सन्तुलित विकास एक चुनौती बन गया है। जिससे माता-पिता, परिवार, समाज, देश व विश्व के प्रति बन्धुत्व की भावना बदल रही है। मैं अभिभावकों को विश्वास दिलाना चाहता हूँ कि मैं महापुरूशों के आदर्शों पर चलकर अपने लाड़लों का संतुलित विकास करूंगा।
पूर्णसिंह रणवां
चैयरमेन
टैगोर शिक्षण संस्थान समूह