निदेशक की कलम से .....

प्रिय विद्यार्थियों,

आज के युवा वर्ग में नैतिकता, मर्यादा एवं संस्कारों की ढहती दीवारें यौवन का विनाश कर रही हैं। जिससे देश के किशोर कुम्हला रहे हैं और युवा विनश्ट हो रहे हैं। आज के युवा जिस डगर पर बढ़ चले हैं वहाँ आजादी का उन्माद तो है लेकिन सुख का सुकून जरा भी नहीं है। युवाओं में यह प्रवृति संक्रामक महामारी की तरह पूरे देश में फैलती जा रही है। देश के प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों में युवाओं द्वारा मातृभूमि के खिलाफ लगाए जाने वाले नारे इस बात का प्रमाण हैं।

आज समाज और देश में इन ढहती नैतिकता, मर्यादा एवं संस्कारों की दीवारों को बचाने के लिए परिवर्तन की जरूरत है और इसी परिवर्तन के बीजों को श्री टेगोर महाविद्यालय के परिसर में अंकुरित पोशित करने का सकारात्मक प्रयास किया जा रहा है।

मेरे प्यारे बच्चों, नैतिक अनुशासन के पालन का मतलब आपके सुखों को छीने जाना नहीं बल्कि यह षारीरिक, मानसिक बल / पराक्रम एवं आत्मिक ऊर्जा प्राप्त करने का साधन हैं। युवाओं को इस सच का ज्ञान कराने में श्री टेगोर महाविद्यालय, कुचामन सिटी प्रयासरत है।

सीताराम चौधरी

निदेशक

श्री टैगोर महाविद्यालय